He is well known for his work throughout India. He has interests in fine arts and music as well.

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मुद्राराक्षस

इस समय की असाधारण प्रतिभा मुद्राराक्षस का जन्म 21 जून, 1933 को लखनऊ के एक गाँव में हुआ था। गाँव में ही प्रारम्भिक शिक्षा के बाद सारी शिक्षा लखनऊ में हुई।

प्रारंभिक रचनाएँ 1951 से छपनी शुरु हुईं और लगभग दो बरस के भीतर ही वे एक चर्चित लेखक हो गए थे। कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना, नाटक, इतिहास, संस्कृति और समाजशास्त्रीय क्षेत्र जैसी अनेक विधाओं में ऐतिहासिक हस्तक्षेप उनके लेखन की सबसे बड़ी पहचान है। इन सभी विधाओं में उनकी पैसठ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

मुद्राराक्षस अकेले ऐसे लेखक हैं, जिनके सामाजिक सरोकारों के लिए उन्हें जन संगठनों द्वारा सिक्कों से तोलकर सम्मानित किया गया। विश्व शूद्र महासभा द्वारा 'शूद्राचार्य' और अंबेडकर महासभा द्वारा उन्हें 'दलित रत्न' की उपाधियाँ प्रदान की गईं।

समुचे देश में मुद्राराक्षस अपने प्रखर जन सरोकारों के लिए विख्यात हैं। समय और समाज के अप्रतिम टिप्पणीकार मुद्राराक्षस संगीत और ललितकलाओं में भी दखल रखते हैं।

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