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केशव

केशव का जन्म हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में अप्रैल, 1949 में हुआ। चंडीगढ़ में अंग्रेज़ी से एम.ए. किया। वहीं इन्द्रनाथ मदान से आगे बढ़ने की प्रेरणा पाई।

केशव को शिवालिक के जीवन और परिवेश की मोहक और दाहक छवियाँ एक साथ प्राप्त हुईं, जो उनके गद्य और पद्य में जगह-जगह दिखती हैं।

अंद्रेटा में प्रसिद्ध आयरिश अभिनेत्री नोरा रिचर्ड से केशव की अंतरंग मुलाक़ातों ने उनके एलीट व्यक्तित्व में लोक संस्कार रोपे तो सरदार शोभा सिंह की कलात्मक गूँजों-अनुगूँजों ने उनकी सर्जनात्मकता को धार और धूप दी, जिससे अन्ततः वे हिन्दी के सिद्ध सर्जक के रूप में उभर आए।

हवाघर, आखेट, डेमन ट्रैप (उपन्यास); रक्तबीज, फासला, अलाव (कहानी-संग्रह); अलगाव, एक सूनी यात्रा, ओ पवित्र नदी, धरती होने का सुख, धूप के जल में (कविता-संग्रह) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

हिमाचल प्रदेश का पहला ‘गुलेरी सम्मान’ पाने वाले केशव को ‘हिमाचल अकादमी पुरस्कार’ के अलावा बिहार से ‘नई धारा सम्मान’ मिला। पिछले दिनों उन्हें ‘शान-ए-हिमाचल’ अवार्ड से अलंकृत किया गया।

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