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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ



द्रोपदी नहीं है


जब तक बहती है नदिया है
ठहर गई तो नदी नहीं है

एक तरफ है गहरा सागर
एक तरफ है रीती गागर
जाना सबको हाथ पसारे
यही बात कह गया सिकन्दर

पाना-खोना, हँसना-रोना
जीवन है त्रासदी नहीं है

राजनीति ठगनी लगती है
जब देखो सबको ठगती है
कहती कुछ है, करती कुछ है
यह उसकी बगुला-भगती है

हम हारे भी, जीते भी हम
लेकिन बाजी बदी नहीं है

कौन राम है, कैसी सीता
बाँच रहै कुर्सी की गीता
जेबों में रखते हैं कैंची
मन में उद्‌घाटन का फीता

नेता लदे हुये जनता पर
जनता उन पर लदी नहीं है

सुन्दरता है बाजारों में
विज्ञापन है अखबारों में
छाया मिले नहीं आँचल की
शिशुता झुलसे अंगारों में

कृष्ण कन्हैया किसे बचायें
अब कोई द्रौपदी नहीं है

* *

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