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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ



बहका गया


किसी की आँख का काजल बरसता है
कोई बादल उसे बहका गया शायद

मुझे मालूम है खुशबू को
कोई पा नहीं सकता
जरा सी बात है लेकिन
उसे समझा नहीं सकता

हिरण फिर भागता है गंध के पीछे
महकता पल उसे बहका गया शायद

अधर की प्यास बुझती है
तो मन की प्यास जगती है
जो मन की प्यास जगती है
तो होंठों पर सुलगती है

कोई प्यासा भटकता है तटों पर
नदी का जल उसे - बहका गया शायद

महकते पल नहीं रहते हैं
सुधियाँ मन मैं रहती हैं
जो सुधियाँ मन में रहती हैं
वही आँखों से बहती हैं

कोई परछाईयों को ढूँढता है
किसी का छल उसे बहका गया शायद

* *

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