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धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार

अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

जीवन भी एक वीणा की तरह, जीवन भी एक बीज की तरह है। लेकिन जो उसके राज को खोलने में समर्थ हो जाता है, वह आनंद को उपलब्ध हो जाता है। जो उसके राज को नहीं खोल पाता है वह दुख में जीता है दुख में मरता है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं आप दुख में जी रहे हैं, पीड़ा में जी रहे हैं, चिंता में, उदासी में, अंधेरे में? तो कोई और जिम्मेवार नहीं है सिवाय आपके। और आप चाहें तो आज जिंदगी को फूलों से भर सकते हैं। चाहें तो आज उस वीणा से संगीत पैदा हो सकता है। उस वीणा से कैसे संगीत पैदा हो सकता है, उस संबंध में एक छोटा सूत्र मैंने आपसे कहा है। लेकिन मेरे कहने से कुछ भी नहीं हो सकता उस सूत्र पर आप एक कदम आगे बढ़ जाएं तो कुछ हो सकता है।

जीवन एक साधना है। जीवन अन्य के साथ नहीं मिलता जन्म के साथ तो केवल पोटेंशिल, बीज रूप से संभावना मिलती है। जीवन तो अपने हाथ से निर्मित करना होता है। परमात्मा ने एक मौका दिया है आदमी को। जन्म देता है परमात्मा, जीवन नहीं देता। जन्म सिर्फ अपर्चुनिटी है, अवसर है। जीवन खुद को पैदा करना होता है। और जो खुद के जीवन पैदा करने समर्थ होता है वह आनंद को उपलब्ध होता है। आनंद हमेशा आत्म-सृजन की छाया है, सिर्फ क्रिएशन की छाया है। जब को व्यक्ति अपने जीवन को निर्मित कर लेता है तो आनंद से भर जाता है।

यह मौका है, लेकिन यह मौका खोया भी जा सकता है और हमसे अधिक लोग इस मौके को खोते हैं। आज तक मनुष्य जाति के अधिकतम बीज व्यर्थ ही नष्ट हो गए हैं। मुश्किल से मनुष्य जाति के इतिहास में दस पचास आदमी पैदा हुए हैं। जिनके बीजों में फूल आए, लेकिन वीणा में संगीत पैदा हुआ है। बाकी लोग ऐसे नष्ट हो गए हैं। एक छोटी-सी कहानी, और अपनी बात मैं पूरी करूं।

एक सम्राट मरने के करीब था। उसके तीन बेटे थे। उसने उन बेटों की परीक्षा लेनी चाही कि किसको वह दे दे सारा राज्य। कौन संभाल सकेगा, कौन मालिक बन सकेगा? उसने कहा, मैं तीर्थ यात्रा पर जाता हूं। मुझे वर्ष दो वर्ष, तीन वर्ष लग सकते हैं। मैं तुम्हारी परीक्षा के लिए एक प्रयोग करना चाहता हूं। उसने एक-एक बोरा फूलों के बीज तीनों बेटों को दे दिए और कहा जब मैं लौटूं तो मैंने जो तुम्हें दिया है वह अमानत रही, वह मुझे वापस कर देना। देखो, वह नष्ट न हो जाए। बडे बेटे ने सोचा कि ठीक है। कैसी परीक्षा है, क्या पागलपन है। उसने एक तिजोड़ी में ताला लगाकर वह बोरे भर बीज फूलों के बंद कर दिए। उसने कहा, जब वापस लौटेगा तो निकालकर सारा वापस लौटा देंगे। तीन सालों में उन बीजों का वही हुआ जो होना था। सड़ गए और राख हो गए।

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