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जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप

कवि प्रदीप

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :52
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10543

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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।


बाम्बे टाकीज ने इस अवसर का लाभ उठाया और अपनी फिल्म ‘मशाल’ (1950) के लिए उनसे सात गीत लिखवाए। इस परिवर्तन का कारण यह था कि बाम्बे टाकीज का काम सावक वाचा के साथ अशोक कुमार देख रहे थे जो प्रदीप से प्रभावित थे। सचिव देव वर्मन ने अच्छी धुनें बनाई और गीत चल निकले। प्रकृति की महानता को उजागर करने वाले इस फिल्म के एक गीत ने पूरे देश में ख्याति अर्जित की। गीत था-

ऊपर गगन विशाल, नीचे गहरा पाताल।
बीच में धरती, वाह, मेरे मालिक तूने किया कमाल।

एक फूंक में रच दिया तूने सूरज अगन का गोला।
एक फूंक में रचा चंद्रमा लाखों सितारों का टोला।

तूने रच दिया पवन झकोला, ये पानी और ये शोला,
ये बादलका उड़नखटोला जिसे देख हमरा मन डोला।

सोच-सोच हमकरें अचंभा, नज़र न आता एकभी खंभा।
फिर भी ये आकाश खड़ा है हुए करोड़ों साल।

मालिक तूने किया कमाल।

‘सती तोरल’ और ‘कादम्बरी’ के गीत गा चुके मन्ना डे ने लिखा है, ‘‘मैं तो प्रदीप जी का ऋणी हूं और जन्म भर रहूंगा क्योंकि मुझे सर्वप्रथम लोकप्रियता प्रदीप जी के गीत ‘ऊपर गगन विशाल’ ने  ही दी है।’’

गीतकार शैलेन्द्र ने उनसे कहा, ‘‘प्रदीपजी, ऐसा और इस कोटि का गीत केवल आप ही लिख सकते हैं।’’

राजकपूर ने बधाई देते हुए प्रदीप को अपनी बाहों में उठा लिया।  

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