प्रदीप की फिल्मी गीत यात्रा का समापन हम, जैसा कि ऊपर संकेत दिया गया है, अत्यंत लोकप्रिय धार्मिक फिल्म ‘जय संतोषी मां’ (1975) से करना चाहेंगे। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी। नागरिकों के संवैधानिक अधिकार तो स्थगित कर ही दिए गए, उनके व्यक्तिगत अधिकारों पर भी डाका पड़ने लगा। विरोध का स्वर उठते ही ‘मीसा’ नामक कानून में अंदर, जिसकी कोई जमानत नहीं। जनता में भय की भावना भरने के लिए देश के नामी-गिरामी नेताओं को जेल के भीतर कर दिया गया। ऐसी दबी कुचली मानसिकता का त्राण ईष-आराधना में ही लोग मानने लगे। ऐसे वातावरण में अत्यंत कम बजट की फिल्म ‘जय संतोषी मां’ आई। इसमें कोई नामचीन कलाकार नहीं था, परंतु प्रदीप के छहों भक्ति प्रधान गीतों ने फिल्म को सुपर हिट कर दिया। कुछ गानों की बानगी देखें-
मैं तो आरती उतारूं रे संतोषी माता की;
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ मत पूछो कहाँ कहाँ है संतोषी मां;
करती हूं तुम्हारा व्रत मैं स्वीकार करो मां।
प्रदीप की फिल्मी गीतों की यात्रा 1939 से 1988 तक रही है। इस दौरान उन्होंने 77 प्रदर्शित फिल्मों में 540 गीत लिखे, 34 गीतों को अपना स्वर दिया। प्रदीप के तमाम गीतों को 71 गायक-गायिकाओं ने गाया। इनमें प्रमुख नाम हैं- लीला चिटणीस, अरुण कुमार, सुरेश, अशोक कुमार, स्नेह प्रभा, देविका रानी, राजकुमारी, अमीर बाई, शमसाद बेगम, शांता आप्टे, मन्ना डे, चितलकर (सी. रामचन्द्र) लता मंगेशकर, गीता राय (दत्त), मुकेश, हेमंत कुमार, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी, सुमन कल्याणपुर, कमल बरोट, कृष्णा कत्ले, सुषमा श्रेष्ठ, वाणी जयराम, मीनू पुरुषोत्तम, सुरेश वाडकर, किशोर कुमार, उषा मंगेशकर, अनुराधा पौडवाल, हरिहरन, अलका याज्ञिक आदि।
प्रदीप के लगभग सभी गीतों की धुनें 39 संगीतकारों ने बनाई। प्रमुख निर्देशकों के नाम हैं- रामचन्द्र पाल, सरस्वती देवी, पन्नालाल घोष, अनिल विश्वास, गुलाम हैदर, सचिन देव वर्मन, सी. रामचन्द्र, रोशन, हेमंतकुमार, बुलो सी. रानी, बंसत देसाई, दत्ता राम, एन. दत्ता, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, सलिल चैधरी, एस.एन. त्रिपाठी, कल्याणजी आनंदजी, रवीन्द्र जैन, उषा खन्ना, आर.डी. वर्मन, नदीम श्रवण, बप्पी लाहिडी आदि।
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