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जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप

कवि प्रदीप

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :52
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10543

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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।

नाम बड़ि भागू

यह न सोचें कि नाम में कुछ नहीं रखा है- इसमें बहुत कुछ है। बालक ‘रामू’ का नाम रखा गया था रामचंद्र। पूरा नाम हुआ रामचंद्र नारायण द्विवेदी। इलाहाबाद प्रवास के दौरान जब वे कविताएं लिखने लगे तो उपनाम रखा ‘प्रदीप’। फिल्म जगत में प्रवेश के लिए जब फिल्म निर्माता हिमांशु राय से मिले तो उनके पूछने पर नाम बताया- पं. रामचन्द्र नारायण द्विवेदी ‘प्रदीप’। उन्होंने कहा कि यह मालगाड़ी जैसा नाम ठीक नहीं है, फिल्म के टाइटिल के लिए सिर्फ ‘प्रदीप’ ठीक रहेगा। और बाद में यह तीन अक्षरों का नाम ‘प्रदीप’ फिल्माकाश में छा गया। उन्हीं दिनों अभिनेता प्रदीप कुमार का नाम भी प्रसिद्ध होने लगा था। इससे डाक द्वारा आए प्रदीप के पत्र प्रदीप कुमार के पास पहुंच जाते। इस भ्रांति के निवारण के लिए उन्होंने अपना नाम ‘कवि प्रदीप’ कर लिया, जो हमेशा चलता रहा। ‘फिल्मिस्तान’ फिल्म निर्माण संस्था से अनुबंधित होने पर भी, आंतरिक राजनीति के कारण उनसे गीत नहीं लिखाए जा रहे थे। इससे दुखी होकर वे मिस कमल बी.ए. के छद्म नाम से गीत लिखने लगे। उन्होंने चार फिल्मों के लिए इसी नाम से गीत लिखे। इस नाम के कारण हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हो गई। न्यू थियटर की लीला देसाई की कमल नाम की एक बहन थी जो ‘मिस’ भी थी और ‘बी.ए.’ भी। जाने कैसे प्रशंसकों ने उनका पता ढूंढ लिया और उन्हें पत्र लिखने लगे। कुछ लोगों ने तो शादी के प्रस्ताव भी रख दिए। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति निकालकर कहा कि वे गीत नहीं लिखतीं।

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