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जीवनी/आत्मकथा >> कवि प्रदीप

कवि प्रदीप

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :52
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10543

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राष्ट्रीय चेतना और देशभक्तिपरक गीतों के सर्वश्रेष्ठ रचयिता पं. प्रदीप की संक्षिप्त जीवनी- शब्द संख्या 12 हजार।


भारतरत्न लता मंगेशकर
प्रदीप एक बिरले गीतकार थे जिन्होंने अपने गीतों में मानव-मूल्यों और राष्ट्रसेवा के संस्कारों का बीजारोपण किया है। वे एक अंतर्राष्ट्रीय कवि थे।

पं. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
प्रदीप का स्वर ईश्वर प्रदत्त है। उन्होंने स्वर की शिक्षा नहीं पाई पर इतना अच्छा स्वर मैंने हिंदी में दूसरा नहीं सुना।

डॉ. शिव मंगल सिंह ‘सुमन’
सिने संगीत में उन्हें सर्वश्रेष्ठ रचनाओं की वजह से ऊंचा स्थान मिला।

पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी ‘भैया जी’
(प्रदीप) तुमने साहित्य छोड़कर एक नए क्षेत्र में प्रवेश किया, किंतु जो साहित्य की क्षति हुई है वो जनता को उदात्त, सुरचिपूर्ण और प्रेरक गीतों के मिलने से पूरी हो गई है। मेरे लिए यह संतोष की बात है।

निर्माता-निर्देशक बल्देव राज चोपड़ा
मैं पं. कवि प्रदीप को जानता हूं। वे एक बड़े और मौलिक कवि थे। मेरे घनिष्ठ मित्र थे। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ देशभक्ति की उत्कृष्ट रचना थी। इसे सुनकर मैं बहुत रोया था।

संगीत निर्देशक खैय्याम
पं. प्रदीप जी ने इसी ‘कामर्शियल लाइन’ में रहकर भी कभी समझौता नहीं किया, कोई गंदा या हल्का गीत नहीं लिखा। उन्होंने प्रेम के गीत भी लिखे लेकिन अश्लीलता की झलक जरा भी नहीं आने दी।

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