लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :79
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10546

Like this Hindi book 0

अपनी वीरता, अदम्य साहस के बल पर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा जमाने वाले इस राष्ट्रीय चरित्र की कहानी, पढ़िए-शब्द संख्या 12 हजार...


सैनिकों की ओर मुखातिब होकर कहा, ‘‘मैंने सुना है कि परगनों में कुछ ऐसे अत्याचारी और विद्रोही जमींदार हैं जो लगान राजकोष में जमा नहीं करते और परगनाधीशों की आज्ञा की अवहेलना करते हैं।’’

 सैनिकों को विश्वास में लेते हुए उनसे पूछा, ‘‘जमींदारों को वश में करने के क्या उपाय किए जाएं?’’

उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘इस समय अधिकांश सैनिक मियां हसन के पास हैं। वे यहां आ जाएं तो हम उनसे मिलकर विद्रोहियों पर हमला कर सकते हैं।’’

फरीद ने तत्काल अपने पिता के सरदारों को आदेश भेजे कि वे दो सौ घोड़े तैयार करें और परगने में जितने ही सैनिक मिल सकें उन्हें इकट्ठा कर लें। इसके बाद उन सारे अफगानों को बुलाया जिनके पास जागीरें नहीं थीं। आने पर उसने कहा, ‘‘मियां के सैनिकों के आने तक मैं तुम लोगों के भोजन, आवास और वस्त्र की व्यवस्था करूंगा। तुम लोग विद्रोहियों को वश में करने में मेरी सहायता करो। विद्रोहियों से जो चीजें तुम लूटोगे वह तुम्हारी होंगी। घोड़े तुम्हें मैं दूंगा। तुममें से जो अधिक साहसी और वीर प्रमाणित होगा उसके लिए मैं अपने पिता से जागीर देने के लिए कहूंगा।’’ उसने किसानों से भी घोड़े उधार लिए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book