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जीवनी/आत्मकथा >> सिकन्दर

सिकन्दर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :82
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10547

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जिसके शब्दकोष में आराम, आलस्य और असंभव जैसे शब्द नहीं थे ऐसे सिकंदर की संक्षिप्त गाथा प्रस्तुत है- शब्द संख्या 12 हजार...


तभी समाचार मिला कि एमफिस्सा नगर डेल्फी के निकट अपोलो की पवित्र भूमि का अनधिकृत प्रयोग कर रहा है। इस कारण फिलिप को यूनान के मामलों में दखल देने का अवसर मिल गया। फिलिप ने सिकंदर को यूनान में अभियान चलाने का आदेश दिया। सिकंदर ने ऐसा दिखाया जैसे वह इलीरिया पर आक्रमण की तैयारी कर रहा है। इस गलतफहमी में इलीरिया ने मकदूनिया पर हमला बोल दिया जिसे सिकंदर ने प्रतिकृत कर दिया।

फिलिप और सिकंदर की सेनाएं ईसा पूर्व 338 में जा मिलीं और उन्होंने थर्मोपाइल की ओर कूंच कर दिया। थीब्ज़ की दुर्ग सेना के कड़े प्रतिरोध के बावजूद बाप-बेटे ने इसे जीत लिया। एथेंस और थीब्ज़ से कुछ दिनों की यात्रा की दूरी पर स्थित इलीरिया नगर को उन्होंने अधिकृत कर लिया। एथेंसवासियों ने, डेमोस्थनीस के नेतृत्व में, मकदूनिया के विरुद्ध थीब्ज़ का साथ देने के लिए मत दिया। एथेंस और फिलिप दोनों ने थीब्ज़ को अपने पक्ष में करने के लिए उसके पास अपने-अपने राजदूत भेजे। इसमें जीत एथेंस की हुई। फिलिप ने यह जताते हुए कि यह कूंच एमफिसाइटोनिक लीग के अनुरोध पर है वह एमफिस्सा जा पहुंचा और डेमोस्थनीस के भाड़े के सैनिकों को बंदी बना लिया। नगर का समर्पण स्वीकार कर लिया। फिलिप इलीरिया लौट आया और एथेंस तथा थीब्ज़ को शांति का अंतिम प्रस्ताव भेज दिया। दोनों ने उसे अस्वीकार कर दिया।

जैसे ही फिलिप दक्षिण की ओर बढ़ा विरोधियों ने चाएरओनिया के निकट उसका रास्ता रोका। चाएरओनिया के युद्ध में फिलिप ने दाहिना पाश्र्व संभाला और विश्वस्त सेनापतियों के साथ सिकंदर ने बायां पाश्र्व। उस समय वह अश्व सेना का नायक था। मकदूनियां में ही प्रथम बार फिलिप द्वारा अश्व सेना स्थापित की गई थी, जिसकी सहायता से सिकंदर ने सफलतापूर्वक विश्व-विजय-अभियान चलाया था। एथेंस इस युद्ध में हार गया। अकेला पड़कर थीब्ज़ भी परास्त हो गया।

विजयी फिलिप और सिकंदर बिना किसी अवरोध के पेलोपोनीसास पहुंच गए। यहां एकत्र यूनान के सभी नगरों ने उनका स्वागत किया परंतु स्पार्टा ने उन्हें नकार दिया, लेकिन युद्ध नहीं किया। कोरिंथ मं, फिलिप ने एक ‘हेलेनिक गठबंधन’ स्थापित किया जिसमें स्पार्टा के अतिरिक्त सभी यूनानी नगर-राज्य सम्मिलित थे। इसे ‘कोरिंथ लीग’ कहा गया। यहीं फिलिप को ‘हेगेमोन’ (सर्वोच्च सेनापति) नामित किया गया। अब फिलिप ने कुछ समय बाद पारसीक साम्राज्य पर आक्रमण करने की अपनी योजना घोषित की।

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