लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 7

देवकांता संतति भाग 7

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : तुलसी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2050

Like this Hindi book 0

चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

इस तरह से उनके बीच बहुत देर तक मेरे बारे मैं इसी किस्म की बातें होती रहीं। फिर दलीपसिंह ने यह कहकर बात का रुख बदला-''लेकिन अब हमें कोई ऐसी तरकीब सोचनी चाहिए, जिससे जल्दी-से-जल्दी बंसीलाल का पता लगाया जा सके।''

''हां, मेरे ख्याल से तो यह पता लगाना चाहिए बंसीलाल का लड़का और बहू कहां गए हैं।'' मेघराज ने कहा-''अगर हम उन्हें अपने कब्जे में कर लें तो बंसीलाल को हम बड़ी आसानी से अपने सामने आने के लिए मजबूर कर सकते हैं।''

''ठीक है-इस काम में बलवंतसिंह भी तुम्हारी मदद करेगा।'' दलीपसिंह ने कहा।

''कंचन और कमला के बारे में क्या करें?''

''उनके बारे में तो वही फैसला ठीक रहेगा जो कल किया था।'' दलीपसिंह ने कहा- ''उमादत्त के आदमी उन्हें तलाश कर ही रहे हैं। चार-पांच दिन उन्हें इसी तलाश में लगे रहने दो। या तो वे खुद ही घाटी-में पहुंचकर उनकी लाश बरामद कर लेंगे वर्ना फिर तुम उन्हें इस तरह सामने ला सकते हो, जैसे तुम्हें तलाश में अचानक ही वे मिली हों। बंसीलाल के अलावा किसी और को तो पता ही नहीं है कि असल बात क्या है।''

''ठीक है।'' मेघराज बोला-'ऐसा ही करना मुनासिब होगा।''

इस तरह से-उनके बीच कुछ देर और इसी किस्म की वातें होती रहीं। उन्हें यहां लिखने से कोई फायदा नहीं है। मैं यहां केवल वे ही बातें लिख रहा हूं जो यहां लिखनी जरूरी हैं। फालतू बातें लिखना बेकार ही जगह घेरना है। अब यहां इतना ही लिखना काफी है कि दलीपसिंह बलवंतसिंह को दारोगा के पास छोड़कर चला गया। इसके बाद किसी तरह छुपता-छुपाता मैं भी यहां आ गया जहां मैं आजकल रह रहा था।

यहीं पर बैठकर मैं ये कागज लिखता हूं। खैर... अब मैं सोच रहा हूं कि मुझे आगे क्या करना है।

 

० ० ०

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book