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देवकांता संतति भाग 2

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2053

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

हालांकि विकास विश्व का सबसे बड़ा जासूस था ! एक-से-एक चकरा देने वाली चाल वह सोचा करता था। किन्तु वंदना की बातें सुनकर उसकी भी बुद्धि चकरा गई। इस सारे किस्से में कहीं भी मारधाड़ का जिक्र नहीं हुआ था और दुश्मनों के बीच से अकेली वंदना विजय को निकाल लाई थी। विकास भी गौरव और वंदना से प्रभावित हुए बिना न रह सका - यह सोचकर उसे अजीब-सा लग रहा था कि दोनों विजय के पुत्र एवं पुत्री हैं।

''मैं समझता हूं दादाजी - कि यह स्थान - गोवर्धन ने देख लिया है।'' गौरव ठाकुर निर्भयसिंह की ओर मुड़कर बोला- ''जब उन्हें वंदना की ऐयारी का पता लगेगा - यानी जब वे जानेंगे कि वंदना गोमती को बेहोश करके खुद कांता बनी और पिताजी को उनके बीच से निकाल लाई तो निश्चय ही वे इस तरफ दौड़ेंगे। इसलिए मेरा विचार है कि हमें जल्दी से यहां से हट जाना चाहिए।''

''तुम हटने के लिए कह रहे हो गौरव।'' विकास तनिक जोश में आकर बोला- ''और मैं यह सोच रहा हूं कि उस शिकारगाह में जाकर गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठा लिया जाए - यानी उसे यमलोक पहुंचा दिया जाए।''

''नहीं - ये दुष्टता का काम होगा।'' गौरव बोला-- ''एक ऐयार कभी दूसरे ऐयार को मारता नहीं है - केवल कैद कर सकता है।''

''मारता क्यों नहीं?'' विकास ने चकराकर प्रश्न किया।

''यह ऐयारी का सिद्धांत होता है।'' गौरव ने बताया--''ऐयार को हम दूत के समान मानते हैं। उसे मारना पाप होता है। जो ऐयार को मारता है, वह दुष्ट, पापी और दुराचारी कहलाता है। एक-दूसरे को धोखा देकर अपना काम निकालना ही ऐयारी होती है।''

''अजीब सिद्धांत है।'' विकास बुदबुदा उठा- ''ऐयार को कैद कर सकते हैं मार नहीं सकते।''

''अब तो यहां से चलना चाहिए।'' गौरव ने कहा।

इस प्रकार वंदना, गौरव, विकास, निर्भयसिंह, रघुनाथ, रैना और ब्लैक ब्वाय बेहोश विजय को लेकर उसी भूत-प्रेत विशेषज्ञ के मकान पर पहुंच गए। एक कमरे में आराम से बैठकर विजय को लखलखा सुंघाकर होश में लाया जाता है। कांता-कांता बुदबुदाता विजय होश में आता है। इसके बाद ये सब उसे उसके बेहोश होने के बाद की सारी घटनाएं बताते हैं, जिन्हें सुनकर विजय यह सोचने पर विवश हो जाता है कि इस बार वो बड़े अजीब-से लोगों के बीच फंसे हैं।

हमारे ख्याल से पाठक समझ गए होंगे कि इसके बाद क्या हुआ? अगर नहीं समझे तो हम बताते हैं - (पहले भाग में बारहवाँ बयान) में बताया गया है कि गौरव, वंदना, विकास, ठाकुर, रैना, रघुनाथ, ब्लैक ब्वाय और विजय किस प्रकार एकत्रित हुए इसके बाद विजय ने उन्हें क्या कहानी सुनाई, यह पाठक (पहले भाग के बारहवें बयान) में पढ़ चुके हैं।

 

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