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ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2079

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...

एक लाख बिल्वपत्र चढ़ाने पर मनुष्य अपनी सारी काम्य वस्तुएँ प्राप्त कर लेता है। श्रृंगारहार (हरसिंगार) के फूलों से पूजा करने पर सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होती है। वर्तमान ऋतु में पैदा होनेवाले फूल यदि शिव की सेवा में समर्पित किये जायँ तो वे मोक्ष देनेवाले होते हैं, इस में संशय नहीं है। राई के फूल शत्रुओं को मृत्यु प्रदान करनेवाले होते हैं। इन फूलों को एक-एक लाख की संख्या में शिव के ऊपर चढ़ाया जाय तो भगवान् शिव प्रचुर फल प्रदान करते हैं। चम्पा और केवड़े को छोड़कर शेष सभी फूल भगवान् शिव को चढ़ाये जा सकते हैं। विप्रवर! महादेवजी के ऊपर चावल चढ़ाने से मनुष्यों की लक्ष्मी बढ़ती है। ये चावल अखण्डित होने चाहिये और इन्हें उत्तम भक्तिभाव से शिव के ऊपर चढ़ाना चाहिये। रुद्रप्रधान मन्त्र से पूजा करके भगवान् शिव के ऊपर बहुत सुन्दर वस्त्र चढ़ाये और उसीपर चावल रखकर समर्पित करे तो उत्तम है। भगवान् शिव के ऊपर गन्ध, पुष्प आदि के साथ एक श्रीफल चढ़ाकर धूप आदि निवेदन करे तो पूजा का पूरा-पूरा फल प्राप्त होता है। वहाँ शिव के समीप बारह ब्राह्मणों को भोजन कराये। इससे मन्त्रपूर्वक सांगोपांग लक्ष पूजा सम्पन्न होती है। जहाँ सौ मन्त्र जपने की विधि हो, वहाँ एक सौ आठ मन्त्र जपने का विधान किया गया है। तिलोंद्वारा शिवजी को एक लाख आहुतियाँ दी जायँ अथवा एक लाख तिलों से शिव की पूजा की जाय तो वह बड़े-बड़े पातकों का नाश करनेवाली होती है। जौ द्वारा की हुई शिव की पूजा स्वर्गीय सुख की वृद्धि करनेवाली है ऐसा ऋषियों का कथन है। गेहूँ के बने हुए पकवान से की हुई शंकरजी की पूजा निश्चय ही बहुत उत्तम मानी गयी है। यदि उससे लाख बार पूजा हो तो उससे संतान की वृद्धि होती है। यदि मूँग से पूजा की जाय तो भगवान् शिव सुख प्रदान करते हैं। प्रियंगु (कँगनी) द्वारा सर्वाध्यक्ष परमात्मा शिव का पूजन करने मात्र से उपासक के धर्म, अर्थ और काम-भोग की वृद्धि होती है तथा वह पूजा समस्त सुखों को देनेवाली होती है। अरहर के पत्तों से श्रृंगार करके भगवान् शिव की पूजा करे। यह पूजा नाना प्रकार के सुखों और सम्पूर्ण फलों को देनेवाली है।

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