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श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

महर्षि वेदव्यास

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :59
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 538

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उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन।
नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम।।44।।

हे जनार्दन! जिनका कुल-धर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आये हैं।।44।।

इस प्रकार आगे आने वाली सन्ततियाँ भी नरकवासी हो जाती हैं। अपनी बात पर अधिक बल देने के लिए वह पूर्वजों की बातों का संदर्भ देता है और कहता है कि अन्य लोग भी ऐसा कहते आये हैं।

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