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श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

महर्षि वेदव्यास

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :59
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 538

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आचार्याः पितर: पुत्रास्तथैव च पितामहाः।
मातुलाः श्वसुरा: पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा।।34।।

गुरुजन, ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा और भी सम्बन्धी लोग हैं।।34।।

सम्बन्धियों की सूची में संभवतः यहाँ कोई ऐसा सम्बन्धी नहीं बचा है, जो कि उस युद्ध में उपस्थित न हो। शरीर से सबल और पुरुष लिंग को धारण करने वाले लोग जिनका सहज स्वभाव ही युद्ध में प्रवृत्त होना है ऐसे सभी सम्बन्धी युद्ध में उपस्थित थे!

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