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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


प्रधान मन्त्री ने तो समयाभाव के कारण भेंट नहीं दी, परन्तु विदेश विभाग के प्रवक्ता से भेंट हुई और उसका कहना था, ‘‘यह भारत की नीति है कि वह व्यर्थ के भूमि-खण्डों के लिए पड़ोसी राज्यों से झगड़ा करना नहीं चाहता।’’

तेज ने पूछ लिया, ‘‘सुरक्षा के विचार से आवश्यक स्थान को व्यर्थ कैसे कह सकते हैं?’’

‘‘सुरक्षा विभाग जानता है कि अक्साई चिन किसी प्रकार से भी सैनिक अड्डा नहीं बन सकता।’’

‘‘परन्तु इस अनाधिकार भूमि को बिना सूचना दिये आत्मसात कर लेने से चीन के साथ आपके सम्बन्ध कैसे रह सकते हैं?’’

‘‘जब हम पड़ौसी देश की इस प्रकार की कार्यवाही पर आपत्ति नहीं कर रहे तो सम्बन्ध बिगड़ कैसे सकते हैं?’’

‘‘परन्तु लद्दाख में भारत की सीमावर्ती चौकियों पर चीनी आक्रमण को आप कैसा व्यवहार समझते हैं?

‘‘हमने चीन सरकार से प्रोटेस्ट (न पसन्द करने की सूचना) दे दी है।’’

‘‘इसका उत्तर आया है?’’

‘‘हमारे ‘प्रोटेस्ट’ की प्राप्ति की सूचना तो आयी है। उत्तर अभी नहीं आया।’’

‘‘आप किसी उत्तर की आशा करते हैं?’’

‘‘इस विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता।’’

‘‘कितने लोग मारे गये हैं?’’

‘‘अभी तक सात के मारे जाने की सूचना है। इस पर रोष प्रकट किया गया है।’’

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