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			 उपन्यास >> दो भद्र पुरुष दो भद्र पुरुषगुरुदत्त
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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...
    गजराज बोला, ‘‘कल जाकर
      उसकी खबर ले आना।’’
    
    ‘‘मैं
      सोचती हूँ कि आप यदि डॉक्टर आहूजा को टेलीफोन कर दें तो अच्छा होगा। वह
      मेरे साथ ही चला चलेगा और उसकी चिकित्सा की व्यवस्था कर आएगा।’’
    
    आजकल किसकी चिकित्सा चल
      रही है?’’
    
    ‘‘आपको बताया तो था कि
      चरणदास थोड़ी-बहुत होमियोपैथी जानता है। वह अपने निदान के अनुसार उसे औषध
      दे रहा है।’’
    
    ‘‘तब तो ठीक है।’’ इस
      प्रकार गजराज ने बात टाल दी।
    
    जब लक्ष्मी रात को सोने
      लगी तो कस्तूरी ने माँ से पूछा, ‘‘माँ, कल सुभद्रा को देखने के लिए
      जाओगी?’’
    
    ‘‘हाँ, जाऊँगी। क्यों?’’
    
    ‘‘मुझको भी साथ ले चलना।’’
    
    ‘‘तुम क्या करोगे वहाँ
      जाकर?’’
    
    कस्तूरी इसका उत्तर नहीं
      जानता था। वह कुछ विचार में पड़ गया। 
    
    उसकी
      माँ ने ही पुनः कहा, ‘‘मैं समझती हूँ कि डॉक्टर को साथ लेकर जाऊँ। पता
      नहीं डॉक्टर कब खाली हो। तुम्हें तो स्कूल भी जाना होगा?’’
    
    कस्तूरी
      सेंट ऐन्थोनी स्कूल में सीनियर कैम्ब्रिज में पढ़ता था। उन दिनों उसका
      स्कूल प्रातः सात बजे से ग्यारह बजे तक का था। इस कारण उसने कह दिया,
      ‘‘अच्छा, यदि मैं स्कूल से समय से लौट आया तो चलूँगा।’’
    			
		  			
						
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