लोगों की राय

उपन्यास >> दो भद्र पुरुष

दो भद्र पुरुष

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7642

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

377 पाठक हैं

दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...


: २ :

गजराज की दो सन्तान थीं–एक लड़का और एक लड़की। लड़के का नाम कस्तूरीलाल और लड़की का नाम यमुना था। चरणदास की सुमित्रा और सुभद्रा नाम की दो लड़कियाँ ही थीं।

लक्ष्मी भाई-भावज से मिलने जाती रहती थी। जब भी वह जाती, बच्चों के लिए मिठाई इत्यादि भी ले जाती। इससे बच्चे बूआ को भली प्रकार जानते थे। चरणदास बहिन के घर की वस्तुओं को न तो स्वयं छूता और न ही अपनी पत्नी को छूने देता था। बहिन के घर की किसी भी वस्तु का प्रयोग वे नहीं करते थे। ऐसा करना वे धर्म-विहित नहीं मानते थे।

चरणदास को अपनी बहिन के विवाह के समय की सभी बातें स्मरण थीं और वह समझता था कि पिताजी ने बहिन का धनी परिवार में विवाह कर अच्छा ही किया था। लक्ष्मी की अवस्था को देख वह अपनी निर्धनता को भूल जाया करता था।

एक दिन लक्ष्मी अपने भाई के घर आई तो अपने लड़के कस्तूरी को साथ लेती आई। उस दिन कस्तूरी के स्कूल की छुट्टी थी। सुमित्रा स्कूल से आई तो बूआ को वहाँ बैठे देख, प्रसन्न हो, नमस्ते कह, उसके समीप ही बैठ गई।

कमरे में खिड़कियाँ थीं, परन्तु जिस गली की ओर वे खुलती थीं, उसके चार-मंजिले मकानों की परछाईं के कारण, उस कमरे में प्रकाश बहुत कम आता था।

कस्तूरी अपनी माँ के पास बैठा हुआ मामी की दी हुई मठरी खा रहा था। सुमित्रा ने कस्तूरी को पहली बार देखा था, इस कारण उसको बूआ के पास बैठे देख, प्रश्न-भरी दृष्टि से उसकी ओर देखने लगी। मोहिनी इस दृष्टि का अर्थ समझ गई और उसने कस्तूरी का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘सुमित्रा! यह तुम्हारी बूआजी का लड़का कस्तूरीलाल है।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book