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गोदान’ (उपन्यास)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :758
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8458

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‘गोदान’ प्रेमचन्द का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपन्यास है। इसमें ग्रामीण समाज के अतिरिक्त नगरों के समाज और उनकी समस्याओं का उन्होंने बहुत मार्मिक चित्रण किया है।


सबसे छोटे बालक ने कहा–यह हमारा है।

उसकी बड़ी बहन ने, जो चौदह-पन्द्रह साल की थी, मेहमानों की ओर देखकर छोटे भाई को डाँटा–चुप, नहीं सिपाई पकड़ ले जायगा।

मिर्ज़ा ने लड़के को छेड़ा–तुम्हारा नहीं हमारा है।

बालक ने हिरन पर बैठकर अपना कब्ज़ा सिद्ध कर दिया और बोला–बापू तो लाये हैं।

बहन ने सिखाया–कह दे भैया, तुम्हारा है।

इन बच्चों की माँ बकरी के लिए पत्तियाँ तोड़ रही थी। दो नये भले आदमियों को देखकर उसने जरा-सा घूँघट निकाल लिया और शर्मायी कि उसकी साड़ी कितनी मैली, कितनी फटी, कितनी उटंगी है। वह इस वेष में मेहमानों के सामने कैसे जाय? और गये बिना काम नहीं चलता। पानी-वानी देना है।

अभी दोपहर होने में कुछ कसर थी; लेकिन मिर्ज़ा साहब ने दोपहरी इसी गाँव में काटने का निश्चय किया। गाँव के आदमियों को जमा किया। शराब मँगवायी, शिकार पका, समीप के बाजार से घी और मैदा मँगाया और सारे गाँव को भोज दिया। छोटे-बड़े स्त्री-पुरुष सबों ने दावत उड़ायी। मर्दों ने खूब शराब पी और मस्त होकर शाम तक गाते रहे। और मिर्ज़ाजी बालकों के साथ बालक, शराबियों के साथ शराबी, बूढ़ों के साथ बूढ़े, जवानों के साथ जवान बने हुए थे। इतनी देर में सारे गाँव से उनका इतना घनिष्ट परिचय हो गया था, मानो यहीं के निवासी हों। लड़के तो उनपर लदे पड़ते थे। कोई उनकी फुँदनेदार टोपी सिर पर रखे लेता था, कोई उनकी राइफल कन्धे पर रखकर अकड़ता हुआ चलता था, कोई उनकी कलाई की घड़ी खोलकर अपनी कलाई पर बाँध लेता था। मिर्ज़ा ने खुद खूब देशी शराब पी और झूम-झूमकर जंगली आदमियों के साथ गाते रहे।

जब ये लोग सूर्यास्त के समय यहाँ से बिदा हुए तो गाँव-भर के नर-नारी इन्हें बड़ी दूर तक पहुँचाने आये। कई तो रोते थे। ऐसा सौभाग्य उन गरीबों के जीवन में शायद पहली ही बार आया हो कि किसी शिकारी ने उनकी दावत की हो। ज़रूर यह कोई राजा हैं नहीं तो इतना दरियाव दिल किसका होता है। इनके दर्शन फिर काहे को होंगे!

कुछ दूर चलने के बाद मिर्ज़ा ने पीछे फिरकर देखा और बोले–बेचारे कितने खुश थे। काश मेरी जिन्दगी में ऐसे मौके रोज आते। आज का दिन बड़ा मुबारक था।

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