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हिन्दी की आदर्श कहानियाँ

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8474

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प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ


‘नवाब कैसा नमक खाते हैं?’

‘एक मन का डला रखकर उस पर पानी की धार छोड़ी जाती है। जब घुलते-घुलते छोटा सा टुकड़ा रह जाता है तब बादशाह के खाने में वह नमक इस्तेमाल होता है।’

अँगरेज अधिकारी मुस्कराता चला गया। क्यों? ओह! हम लोगों के समझने के योग्य यह भेद नहीं।

उसी रसरंग की दीवारों के भीतर अब सरकारी दफ्तर खुल गये हैं। और अमन कैसर बाग मानो रंडुए की तरह खड़ा उस रसीली रात की याद में सिर धुन रहा है।

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