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नाटक-एकाँकी >> करबला (नाटक)

करबला (नाटक)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :309
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8508

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अमर कथा शिल्पी मुशी प्रेमचंद द्वारा इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत का सजीव एवं रोमांचक विवरण लिए हुए एक ऐतिहासित नाटक है।


सुले०– बेशक, तुम्हारा हक सबसे ज्यादा है। यह खत लो, और इसके पहले कि हमारा पसीना ठंडा हो, मक्का की तरफ़ रवाना हो जाओ।

[युवक चला जाता है।]

आइए, हम लोग मस्जिद में नमाज अदा कर लें। खत का जवाब तीन दिन में आएगा। हज़रत हुसैन के आने में अभी एक महीने की देर है। जियाद भी शायद उसके पहले नहीं लौट सकता। ये दिन हमें तैयारियों में सर्फ़ करने चाहिए, क्योंकि यजीद की खिलाफत का फैसला कूफ़ा में होगा या तो वह खिलाफत के मसनद पर बैठेगा, या जाहिलों की इबादत का मजार बनेगा। अगर कूफ़ा ने खिलाफ़त को नबी के खानदान में वापस कर दिया, तो उसका नाम हमेशा रोशन रहेगा।

[सब जाते है।]

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