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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


आरम्भ

अंततोगत्वा मैंने फायरफाक्स ब्राउजर को खोला और उसके बाद सबसे पहला काम फेशबुक की वेबसाइट को अवरोधित साइटों की सूची में से हटाने का किया। उत्सुकता और उत्तेजना का अनुभव करते हुए फेशबुक का नाम मैंने वेबसाइट के पते की जगह पर टाइप किया! लगभग एक महीने पहले, परीक्षाओँ में मिल रहे अंको की दुर्दशा पर अपना फतवा सुनाते हुए मैंने फेशबुक को अपने जीवन से कुछ समय के लिए निकाल दिया था। दूसरा सत्र समाप्त होने की अवस्था में था। पहले सत्र में जैसे तैसे पास हो पाया था। इस सत्र के आरंभ में तो कक्षा में सबकुछ समझ में आ रहा था। परंतु अचानक एक-एक करके पांचो विषयों में मामला बिगड़ने लगा। अध्यापक जो कुछ भी पढ़ा रहा था सब सिर के ऊपर निकलने लगा। रेत के महल की तरह इमारतें गिरने लगीं। मेरी इस दुर्दशा में काफी कुछ हिस्सेदारी फेशबुक की भी थी। मुझे पता ही नहीं लगता था कि फेशबुक पर कितना समय निकल जाता था। पढ़ने में सर्वोत्तम विद्यार्थी कभी-भी नहीं रहा। हाँ, बीच-बीच में अचानक किसी न किसी विषय में अच्छे परिणाम आ जाते थे। अपनी इस परिस्थिति पर विचार करते हुए एक माह पहले एक शाम को जब मैं अपने-आपको कोस रहा था, तभी मन में यह विचार आया कि काश कम-से-कम इस बार तो अच्छे अंक आ जाते! व्यक्ति साधारण काम चाहे ठीक से न कर पाये, लेकिन बड़े कामों के सपने देखने में कोई गुरेज नहीं करता। संभवतः मेरे मन में अपने जीवन की आखिरी परीक्षा में मिलने वाले अंकों को किसी प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी के आखिरी मैच की भाँति यादगार बनाने की कोई इच्छा दबी थी!
यूनिवर्सिटी आफ नार्थ कैरोलाइना की स्नातकोत्तर कक्षा के मेरे सहपाठियों द्वारा संचालित फेशबुक पेज पर आज कुछ विशेष चहल-पहल नहीं थी। मैं दो सत्रों की पढ़ाई आज ही पूरी हई थी और अब अगले सत्र में मुझे एम एस की थीसिस (अर्थात् अनुसंधान) के लिए काम करना था। थीसिस के लिए अभी तक विषय का चुनाव ही नहीं हो पाया था, इसलिए थीसिस के विषय के बारे में गाइड की अनुमति मिलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था! यूनिवर्सिटी का अगला सत्र अब सितम्बर माह में आरंभ होना था, परंतु आप्रवासी होने के कारण गर्मियों की इन तीन महीने लम्बी छुट्टियों में भी, मेरी घर वापस जाने की कोई योजना नहीं थी। बल्कि इन गर्मी की छुट्टियों के समय में ही अगले सत्र की फीस का प्रबंध करना था!  साथ-ही-साथ एम एस की रिसर्च की दिशा में अपना सारा ध्यान लगाकर शीघ्रतिशीघ्र एम एस की डिग्री प्राप्त करनी थी। परंतु, इन सबसे भी पहले कुछ समय के लिए मेरे अंदर का जिज्ञासु अब इस सुंदर और व्यवस्थित देश में कुछ स्थलों की यात्रा करना चाहता था! मेरी यह इच्छा मन भर कर पूरी न भी हो, तो भी कम से कम, इस दिशा में कुछ प्रयत्न तो करना ही चाहता था।
मुझे नई-नई जगहों को देखने का और उन स्थानों में रहने वाले लोगों का जीवन तथा वहाँ की वनस्पति आदि को स्वयं निकट से जाकर देखने का कौतूहल सदा से रहा है। मुझे यह स्वभाव अपने पिता से प्राप्त हुआ है, वे व्यापार के सिलसिले में जब भी अवसर मिलता, तो नये लोगों से फोन पर व्यापार करने की अपेक्षा यात्रा करके आमने सामने मिलना अधिक पसंद करते। शायद उनके ज़माने में लोग आमने-सामने मिल कर ही बात और व्यापार करना अधिक पसंद करते थे। इन यात्राओं में जब भी उचित होता मुझे भी अपने साथ ले जाते। पिताजी से जब भी उनकी आगामी यात्रा के बारे में कोई बात सुनता, तो मैं माँ से पिताजी को सिफारिश लगवाता और उस सिफारिश के बदले में माँ से वादा करता कि स्कूल की पढ़ाई पहले से ही कर लूँगा।

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Narendra Patidar

सड़क यात्रा में प्रेम - फूस और चिंगारी

Anshu  Raj

Interesting book

Sanjay Singh

america ke baare mein achchi jankari

Nupur Masih

Nice road trip in America

Narayan Singh

how much scholarship in American University

Anju Yadav

मनोरंजक कहानी। पढ़ने में मजा आया

MANOJ ANDERIYA

Is it easy make girl friends in America

Abhishek Sharma

where i get full story of this book

Shivam  Soni

मस्त कहानी

SUNIL PANDEY

where to find full book

Sanjay Nagpal

Very good romantic novel

Gd Mehra

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