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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी

शनिवार


सुबह उठते ही रोज की तरह सबसे पहले मैं व्यायाम शाला में गया और व्यायाम आदि करने के बाद स्नान करके अपना लैपटाप लेकर नाश्ते की मेज पर पहुँच गया। तभी मेरी एन ने टेक्सट मेसेज भेजकर मुझसे पूछा कि मैं कहाँ हूँ। मैने उसे भी नाश्ते की मेज पर पहुँचने के लिए कहा।  

इस बीच मैं होटेल के इंटरनेट का लाभ उठाकर अपनी मेल चेक करने लगा। साथ ही टीवी और इंटरनेट पर आज के समाचार भी पढ़ने लगा। लगभग आधे घंटे बाद मेरी एन भी आ गई। नाश्ता करते हुए मैं  आज डेलावेयर गैप का कार्यक्रम बनाने लगा। डेलावेयर नदी पर दो प्राकृतिक आकर्षण थे। एक तो नदी में नाव या कायाक पर सवारी की जा सकती थी। दूसरा आकर्षण ट्रेकिंग और हाइकिंग अर्थात् जंगल में पतली पगंडियों पर प्रकृति के बीच में पद यात्रा की जा सकती थी।  
हमें आज और कल, अगले दोनों दिन तक न्यू जर्सी में ही रहना था, क्योंकि सोमवार को न्यूयार्क में कैनेडा के दूतावास में जाना था। हम एक बार यहाँ से निकले तो वापस नहीं आना चाहते थे, बल्कि विचार यह बन रहा था कि स्टेच्यू आफ लिबर्टी भी जिस दिन न्यूयार्क जायें उसी दिन देख लिया जाये। परंतु फिर आपसी सलाह मशविरे के बाद हमने यही निश्चय किया कि आज पहले स्वतंत्रता की देवी के दर्शन किये जायें और कल हाइकिंग और ट्रेकिंग। इसके पश्चात् परसों सुबह पहले न्यूयार्क में दूतावास का कार्य और उसके बाद टाइम्स स्क्वेयर और आस-पास घूमा जाये।  
होटल से निकल कर हमने कुछ देर के लिए मार्ग 80 उसके बाद 287 फिर वहाँ से 24 और उसके बाद 78 लेते हुए हम न्यूवार्क के क्षेत्र में पहुँच गये। स्टेच्यू आफ लिबर्टी के पास ही लिबर्टी साइंस सेंटर भी था जिसमें आई मेक्स पर 3 डी शो चल रहे थे। हमने सोचा यदि समय रहा तो वापस आते समय इसे भी देखेंगे। हडसन नदी यहाँ पर आकर अटलांटिक महासागर में मिल जाती है। नदी के सागर से मिलन स्थल के पास ही स्टेच्यू आफ लिबर्टी समुद्र के बीच मानव निर्मित एक छोटे से द्वीप पर बनी हुई है। इस कारण यदि आपको स्टेच्यू आफ लिबर्टी को पास से देखना है तो नाव की यात्रा करके पहले लिबर्टी द्वीप जाना पड़ता है। इसके लिए फैरी जो कि 2 या 3 मंजिलों की एक नाव होती है उसके द्वारा जाया जाता है। इस नाव में बड़े समुद्री जहाजों की तरह कई मंजिलें और कमरे आदि नहीं होते परंतु छोटी दूरी की यात्रा खड़े होकर की जा सकती है। साधारणतः इस प्रकार की नावों का प्रयोग व्यक्तियों अथवा कारों आदि को नदी पार करवाने के लिए किया जाता है। उस दिन काफी भीड़ होने के कारण हमें तीसरी बार में नाव में सवार होने का अवसर मिला। मेरा ख्याल था कि हर बार कम से कम लगभग 200 लोग तो गये ही होंगे। इस बीच इंतजार करते हुए हम न्यूयार्क नगर के दक्षिणी किनारों पर खड़ी इमारतें देखते रहे। न्यूयार्क की इमारतों को तट के दूसरी ओर से देखते समय यह ध्यान अवश्य आ जाता है कि कभी इन्हीं के बीच में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की वे दोनों इमारतें और कुछ अन्य इमारते भी रही होंगी जहाँ आज फ्रीडम टॉवर खड़ी चमचमा रही है।

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लोगों की राय

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सड़क यात्रा में प्रेम - फूस और चिंगारी

Anshu  Raj

Interesting book

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america ke baare mein achchi jankari

Nupur Masih

Nice road trip in America

Narayan Singh

how much scholarship in American University

Anju Yadav

मनोरंजक कहानी। पढ़ने में मजा आया

MANOJ ANDERIYA

Is it easy make girl friends in America

Abhishek Sharma

where i get full story of this book

Shivam  Soni

मस्त कहानी

SUNIL PANDEY

where to find full book

Sanjay Nagpal

Very good romantic novel

Gd Mehra

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