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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


वियोग श्रृंगार की यह अभिव्यक्ति विरहणी की स्थिति को स्पष्ट करती है। जो बरसात प्रियतम की उपस्थिति में सुखद होती है, वही उसकी अनुपस्थिति में विरह के उद्‌दीपन का काम करती है। तभी तो बादलों के साथ-साथ आँखें भी बरसना शुरू कर देती हैं। विशेष बात यह है कि बादल तो घड़ी-दो-घड़ी बरस कर बंद भी हो जाते हैं लेकिन आँखें सारी रात बरसती रहती हैं।

बिम्ब-योजना की दृष्टि से भी इस संकलन के कई दोहे बहुत सुन्दर बन पड़े हैं। काव्य-बिम्ब वस्तुत: भाव-गर्भित शब्द चित्र ही होते हैं। एक दोहा देखिये-
जाने किसका रास्ता, देख रही है झील।
दरवाजे पर टाँगकर, चन्दा की क़न्दील।।

जिन्दगी और मौत के बारे में उर्दू के किसी शायर का एक शेर बहुत प्रसिद्ध है-अच्छा भी है।
जिन्दगी की दूसरी करवट है मौत,
जिन्दगी करवट बदल कर रह गई।

इसका वर्ण्य बिन्दु जिन्दगी नहीं मौत है। शेर का भाव यह है कि जिन्दगी एक रूप में अस्तिपरक है। लेकिन अंसार का दोहा अर्थ और भाव-विस्तार की दृष्टि से और भी अधिक सटीक बन पड़ा है-
या ये उसकी सौत है, या वो इसकी सौत।
इस करवट है जिन्दगी, उस करवट है मौत।।

पहली वात तो यह है कि 'इस करवट है जिन्दगी, उस करवट है मौत' कहकर कवि ने जिन्दगी का अस्तिपरक अर्थ तो उजागर किया ही है, उससे जीव की निकटता और चाहत का भाव भी दर्शाया है। मौत किसी को भी अच्छी नहीं लगती इसलिये उससे सभी दूर रहना चाहते हैं, लेकिन उसकी अवश्यंभाविता को नकार भी नहीं सकते। इसीलिये हर क्षण मौत से भी उसका नाता जुड़ा रहता है। दूसरी बात यह है कि जिन्दगी और मौत का द्वन्द्व भाव ही जीवन है।

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