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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


कुछ कहो तो सही


क्या नहीं कर सकूँगा तुम्हारे लिये
शर्त ये है कि तुम कुछ कहो तो सही

चाहे मधुवन में पतझार लाना पड़े
या मरुस्थल में शबनम उगाना पड़े

मैं भगीरथ सा आगे चलूँगा मगर
तुम पतित-पावनी सी बहो तो सही

पढ़ सको तो मेरे मन की भाषा पढ़ो
मौन रहने से अच्छा है झुंझला पड़ो

मैं भी दशरथ सा वरदान दूँगा तुम्हें
युद्ध में कैकेयी सी रहो तो सही

हाथ देना न संन्यास के हाथ में
कुछ समय तो रहो उम्र के साथ में

एक भी लांछन सिद्ध होगा नहीं
अग्नि में जानकी सी दहो तो सही

* *

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