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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ



तुम मुझे बाँचना


फिर उदासी तुम्हें घेर बैठी न हो
शाम से ही रहा मैं बहुत अनमना

पूछता हूँ स्वयं से कि मैं कौन हूँ
किसलिये था मुखर, किसलिये मौन हूँ

प्रश्न का कोई उत्तर तो आया नहीं
नीड़ इक आ गया सामने अधबना

चित्र उभरे कई किन्तु गुम हो गये
मैं जहाँ था वहाँ तुम ही तुम हो गये

लौट आने की कोशिश बहुत की मगर
याद से हो गया आमना-सामना

पंक्तियाँ कुछ लिखी पत्र के रूप में
क्या पता क्या कहा उसके प्रारूप में

चाहता तो ये था सिर्फ इतना लिखूँ
मैं तुम्हें बाँच लूँ तुम मुझे बाँचना

* *

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