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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ



पहेली बूझते हैं


सूर्य से नाराज हो कर हम
अब अंधेरे से दिशायें पूछते हैं

बस्तियों में बदहवासी बो गये
अपने घर के सामने ही खो गये
दूसरों को एक करने के लिए
हम स्वयं ही एक से दो हो गये

फिर मिलाने के लिए दोनों सिरे
क्या बतायें किस तरह से जूझते हैं

भक्त का मंदिर से कुछ नाता नहीं
बे-वजह कोई कहीं जाता नहीं
आजकल परलोक का इस लोक में
एक भी असली बही खाता नहीं

मिल रही जिससे हमें अवमानना
घूम फिर कर हम उसी को पूजते हैं

कूद कर बैठे पराई नाव पर
जिन्दगी जब भी लगी है दाँव पर
हाथ में बैसाखियाँ थामे हुये
गर्व करते हैं पराये पाँव पर

हल कोई निकले तो आखिर किस तरह
हम पहेली से पहेली बूझते हैं

* *

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