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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

क्यों? क्यों ऐसा होगा?

ऐसा इसलिए होगा कि देखते हैं छोटे-छोटे बच्चे भी जानते हैं, स्कूल के ब्लैक-बोर्ड पर सफेद चाक से जब लिखते हैं तो दिखाई पड़ता है, और सफेद दीवाल पर सफेद चाक से लिखें तो दिखाई नहीं पड़ता। स्कूल के शिक्षक भी ज्यादा समझदार हैं, आत्मा के खोजियों से। उनको पता है कि सफेद दीवाल पर लिखेंगे, कुछ भी दिखाई नहीं पड़ेगा। काले ब्लैक-बोर्ड पर लिखने से दिखाई पड़ता है।

क्यों, कंट्रास्ट। जब तक आप मौत में नहीं झांकेंगे, आपको अमृत दिखाई नहीं पड़ता।

दिखाई पड़ नहीं सकता। मौत काले बोर्ड की तरह खड़ी हो जाती है। और अगर उस काले बोर्ड में फिर एक भी सफेद रेखा आपको दिखाई पड़ गई तो आप जानते हैं कि काला बोर्ड ही सब कुछ नहीं है, एक सफेद रेखा भी है। जो काले के बाहर है और अलग है।

तो जो मौत में नहीं झांकेगा, वह अमृत को कभी नहीं देख सकता। जो काले से डरेगा, वह सफेद को नहीं देख सकता। तो जीवन के तथ्यो में झांकना जरूरी है। जीवन के तथ्यों को झुठलाने वाले आदर्शों में समय खोना उचित नहीं है।

लेकिन हम सब मौत से डरते हैं। सो हम अमरता के आदर्श बना लेते हैं, अमरता के सिद्धांत बना लेते हैं। जो आदमी जितना मौत से डरता है, उतनी ही आत्मा की अमरता की बातें करता है।

देख लें आप, जमीन पर जो कौम जितनी ज्यादा मौत से डरती है, वह उतनी ही आत्मा को मानने वाली कौम है।

क्यों मानती है? भय है, भीतर मौत का। तो हम मान लेते हैं कि आत्मा अमर है। इसको मानने में बड़ा रस और आनंद आता है। इस रस और आनंद में धोखा है। तथ्यों को देखना जरूरी है, क्योंकि तथ्यों के भीतर ही सत्य छिपे हुए हैं। इस संबंध में हम और कुछ प्रश्न हैं, उनकी बात रात करेंगे।

दोपहर की यह बैठक समाप्त हुई।

साधना-शिविर
माथेरान, दिनांक 20-10-67, दोपहर

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