धर्म एवं दर्शन >> भक्तियोग भक्तियोगस्वामी विवेकानन्द
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स्वामीजी के भक्तियोग पर व्याख्यान
भक्तियोग पुस्तक में स्वामी विवेकानन्दजी ने भक्ति के भिन्न-भिन्न प्रकार के साधनों का विवेचन अनेकानेक धर्मग्रन्थों तथा आत्मानुभूति के आधार पर किया है। हमें पूर्ण विश्वास है कि हिन्दी साहित्य के इस नवीन पुष्प से भक्तजनों को विशेष लाभ होगा।
- भक्तियोग
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- प्रार्थना
- भक्ति के लक्षण
- ईश्वर का स्वरूप
- भक्तियोग का ध्येय - प्रत्यक्षानुभूति
- गुरु की आवश्यकता
- गुरु और शिष्य के लक्षण
- अवतार
- मन्त्र
- प्रतीक तथा प्रतिमा-उपासना
- इष्टनिष्ठा
- भक्ति के साधन
- पराभक्ति - त्याग
- भक्त का वैराग्य - प्रेमजन्य
- भक्तियोग की स्वाभाविकता और उसका रहस्य
- भक्ति के अवस्था-भेद
- सार्वजनीन प्रेम
- पराविद्या और पराभक्ति दोनों एक हैं
- प्रेम - त्रिकोणात्मक
- प्रेममय भगवान स्वयं अपना प्रमाण हैं
- दैवी प्रेम की मानवी विवेचना
- उपसंहार
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