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उपन्यास >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘डील के बारे में बात करें?’

‘हाँ, हाँ....डील।’ कोहनियों को मेज पर टिकाये, उँगलियों को आपस में उलझाये कुछ सोचते हुए उसने शुरुआत की। ‘मैं पिछले हफ्ते जब आस्ट्रेलिया में था तो एक नया कान्टेक्ट मिला मुझे। उनके ब्रेन्ड एमबेस्डर में अब वो बात नहीं रही कि उनका बेस्ट प्रॉडक्ट स्पार्क सम्हाल सके। वो लोग उसे किसी नये फेमस चेहरे से रिप्लेस करना चाहते हैं।’

‘तो?’

‘मैंने तुम्हारे अलावा उनके सामने कई नाम रखे लेकिन क्योंकि आजकल तुम मशूहर हो..... तुम्हारे फेन फालोईंग अच्छी है, मार्केट में तुम्हारा क्रेज भी है सो वो लोग तुम्हें चाहते हैं।’ पहली बार लगा जैसे वो पूछ रहा है मुझसे। इससे पहले मेरी डील्स कभी कभी तो तब पता चलती थी जब मैं कान्ट्रेक्ट साईन करने वाला होता था। कुछ तो अजीब था।

‘तो परेशानी क्या है?’

‘नहीं परेशानी कुछ नहीं है।’ उसने खुद को थोड़ा कम्फर्टेबल किया। ‘ये एक बड़ा आस्ट्रेलियन ब्रेन्ड है। तुम्हें उसने लिए एड करने हैं और....’जैसे वो खुद को ही समझा रहा था।’ और.... इसके अलावा बस एक छोटा सा टास्क और है।’ वो अब तक खुल कर समझा नहीं पाया।

‘और वो क्या है?’ मुझे शक होने लगा।

‘हमें, मेरा मतलब है तुम्हें उनके लिए कुछ सामान देश से बाहर ले जाना होगा।’ वो रुक गया।

‘मैं सुन रहा हूँ।’ मैंने बनावटी दिलचस्पी दिखाते हुए अपने गाल पर हाथ रखा।

‘अंश यकीन करो। ये तुम्हारी जिन्दगी की सबसे बड़ी डील साबित होने वाली है।’

‘लेकिन मुझे लेकर क्या जाना है?’ मैंने कुर्सी छोड़कर आस पास टहलना शुरू कर दिया। शायद मुझसे नजरें मिलाकर कुछ बोलना उसके लिए मुश्किल था।

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