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उपन्यास >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

दुनिया में हर चीज का अन्त होना ही है लेकिन ज्यादातर चीजों का अन्त हम स्वीकार नहीं कर पाते, करना ही नहीं चाहते। मैं भी उन दिनों कुछ स्वीकार करने की नाकाम कोशिशें कर रहा था। हमेशा से जानता था कि इस रिश्ते का कोई मतलब नहीं है। कोई नींव नहीं है लेकिन फिर भी जब ये टूटा तो दुःख हो रहा था।

‘ये दूसरी बार कोमल बिना किसी प्री इन्फार्मेशन के छुट्टियों पर है। इस ऑफिस में तुम उससे सबसे ज्यादा क्लोज हो, इसलिए मैं तुमसे कह रहा हूँ कि उससे बात करो कि वो कब तक लौट रही है। वर्ना मुझे उसे नौकरी से हमेशा के लिए बाहर करना होगा।’

ये हमारे टी-एल की तरफ से एक अनआफिशल ऑफ लाइन मैसेज था जो मुझे लाग-इन होते ही मिला।

‘मैं कोशिश करूँगा।’ इन तीन लफ्जों में मैंने अपना जवाब दे दिया।

कोमल करीब चार दिनों से अबसेन्ट थी। सबने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ये पाँचवीं रात थी। शिफ्ट खत्म होने के बाद मैं पिछले कुछ रोज की तरह उसका नम्बर लगा रहा था, बिना किसी वजह। बिना किसी उम्मीद के.... लेकिन इस बार उसने कॉल रिसीव कर ली।

‘तुम क्यों परेशान कर रहे हो मुझे?’ उसने शुरुआत ही नाराजगी से की।

सबसे पहले मैंने ये पता किया कि क्या प्रीती ने उसे कोई झूठी कहानी सुनाकर हमारे बीच कड़ुवाहट भरने की कोशिश की है? लेकिन ऐसा नहीं था। खुद कोमल ने इस बात को माना कि- ‘प्रीती से मुझे कोई शिकायत नहीं है।’

‘तो फिर क्या है? तुम ये बेगानों सा बर्ताव क्यों कर रही हो?’

‘क्योंकि मैं थोड़ी पागल हूँ ना।’

अपनी आवाज की कंपकंपाहट को काबू करते हुए उसने जवाब दिया। मैं फोन पर था लेकिन फिर भी उसके आवाज में वो उदासी सुन सकता था। आँसुओं से नम उसकी आँखें देख सकता था। उसके दुःखते मन का दर्द महसूस कर सकता था।

‘वो तो तुम हो ही। तुमने सेंटर आना क्यों छोड़ दिया? मैं टी-एल को क्या जवाब दूँ?’

‘मेरे घरवाले इस जॉब के खिलाफ हो गये हैं अंश।’ उसने अचानक से कहा।

‘क्यों?’

‘मैं बिगड़ गयी हूँ ना। किसी ने घर में बता दिया कि मैं किसी लड़के के साथ घूम रही थी रोड पर।’

‘ये क्या बात हुई?’

‘अंश, अब तुम खुद भी तो ठीक ठाक कॉल कर लेते हो। मेरी क्या जरूरत है? खुद मैनेज कर लो।’

‘क्या? तुमको लगता है कि मैं तुमको यहाँ इसलिए बुला रहा हूँ कि तुम मेरे लिए कॉलिंग कर सको?’ मुझे उसकी सोच पर तरस आ गया।

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