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उपन्यास >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

हाँलाकि मैं यामिनी से कुछ नहीं सीख सका लेकिन वापस जाते ही मैंने अपनी लाइन्स सही सही बोल दीं वो भी पहली ही बार में।

शूट खत्म हो गया।

मैं सेन साहिब की तरफ से कुछ तारीफ भरी पक्तिंयों की उम्मीद में था लेकिन पूरा विडियो देखने के बाद वो मेरे पास आये तो उन्होंने एक छोटी सी स्पीच से मेरा सम्मान किया।

‘इस काम में शक्ल ही नहीं अक्ल भी चाहिये। तुम तो सीन की डिमाण्ड ही नहीं समझ पा रहे थे। ये तो सिर्फ एक एड शूट था जिसे आजकल बच्चे भी कर लेते हैं! कही गलती से तुमको कोई फिल्म मिल गयी तो तुम तो पागल कर देते!’

मेरे कॉन्ट्रेक्ट में किसी को थप्पड़ मारना नहीं था, वर्ना ये शूट थोड़ी देर पहले निपट चुकता। मैं चुपचाप उसकी बकवास सुन रहा था। उसे देने के लिए कोई जवाब ढूंढ़ रहा था कि इतने में यामिनी बीच में बोल पड़ी।

‘सेन साहब, अब तो एड हो गया ना। आपको जैसा चाहिये था सब कुछ वैसा ही हुआ है। तो...अब, हमें कुछ काम था शैल वी लीव नाउ?’

एक बनावटी मुस्कान के साथ यामिनी ने बड़े आराम से हालात सम्हाल लिये। वो इस तरह के लोगों से डील करने की आदी थी। उस वक्त अगर यामिनी ने बीच में अपनी टाँग न अड़ाई होती तो मेरी वाकई उस बुढ़्ढे से बहस हो जाती।

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