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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563

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आज…. प्रेम किया है हमने….

आज….
प्रेम किया है हमने….
किसी को….
...अपना भगवान माना है हमने!

तुम ही हो....
बस तुम ही हो....
तेरी आशिकी..... बस तुम ही हो....
तेरी आशिकी..... बस तुम ही हो....
मेरा दर्द भी....
मेरा चैन भी....
मेरी जिन्दगी... बस तुम ही हो....
मेरी जिन्दगी... बस तुम ही हो....

मैंने गाया धीमे स्वर में लय के साथ।



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