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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘पर देव! गंगा तो एक नम्बर की गधी है!‘‘ संगीता ने जोर देकर कहा पूरी एक साँस खींचते हुए।

गधी मतलब गंगा का कम अक्ल का होना, दिमाग से अपरिपक्व होना। गंगा का सही और गलत में फर्क ना कर पाना। मैंने जाना....

‘‘हाँ! हमें पता है!‘‘ देव ने एक बार फिर से हाँ में सिर हिलाया।

संगीता ने सुना।

‘‘....पर देव! वो तो एक हलवाइन है!‘‘ संगीता ने आश्चर्य जताते हुए कहा।

संगीता का मतलब कि जहाँ देव एक बहुत ही बड़े और ऊँचे घराने से सम्बन्ध रखता है वहीं गंगा एक बहुत ही छोटे घराने से। दोनों में जमीन-आसमान का अन्तर है। ऐसे में क्या देव का गंगा से शादी करना ठीक रहेगा।

‘‘हाँ! हाँ! संगीता! हम ये सब अच्छी तरह जानते हैं!

‘‘हमें सबकुछ पता है!‘‘ देव ने जोर देकर कहा जैसे उसका संगीता के इन सवालों से मन भर गया।

‘‘संगीता! क्या तुम गंगा के अम्मा-बाबू से इस बारे में बात करने जाओगी... हमारी तरफ से?‘‘ देव ने इच्छा जताई।

संगीता ने सुना।

‘‘हाँ!‘‘ संगीता ने सिर हिलाया

‘‘देव! अब जब तुमने गंगा से शादी करने का फैसला कर ही लिया है तो तुम अब उसके घर चले जाया करो। उसके बाबू से बात करो। गंगा का रहन-सहन एक बार अच्छी तरह देख लो फिर मैं तुम्हारी शादी की बात करती हूँ!‘‘ संगीता ने विचार-विमर्श किया।

‘‘ठीक है!‘‘ देव ने सहमति जताई। मैंने देखा

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