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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563

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आज…. प्रेम किया है हमने….


रोजाना की तरह क्लास स्टार्ट हुई।

‘‘गंगा! आई लव यू!‘‘ देव ने लिखा अपने लम्बे से रफ रजिस्टर पर। और गंगा को दिखाया।

गंगा ने पढ़ा।

‘‘हाँ देव! मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ!‘‘ इंग्लिश ना जानने वाली गंगा ने हिन्दी में लिखा अपनी रफ कापी पर। और देव को दिखाया।

देव ने पढ़ा।

‘‘वाओ! क्या जबरदस्त दिमाग लगाया है दोनों ने लिख-2 कर प्यार के इजहार करने का। मुझे आश्चर्य हुआ....

इसका मतलब व्यार-व्यार में दिमाग सौ की रफ्तार से चलता है‘‘ मैंने सोचा....

‘‘गंगा! तुम बहुत सुन्दर हो!‘‘ देव ने लिखी अगली लाइन।

‘‘हाँ देव! तुम भी सुन्दर हो‘‘ गंगा ने जवाब लिखा बड़ी सरल भाषा में।

‘‘गंगा! आई लव यू, एक बार फिर से!‘‘ देव ने फिर से प्रेम का इजहार किया।

‘‘हाँ देव! मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ‘‘ गंगा ने बताया।

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