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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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२०

राम के स्वागत में फैली है ख़ुशी की रौशनी


राम के स्वागत में फैली है ख़ुशी की रौशनी
इसलिये घर-घर हुई दीपावली की रौशनी

आज ऐसे झिलमिलाते है ये शीशे के मकाँ
दर्पणों से झाँकती है रौशनी की रौशनी

अक्स में तारों के जब शामिल हुये जलते दिये
और भी अच्छी लगी सबको नदी की रौशनी

सब तो रौशन कर रहे हैं घर में मिट्टी के दिये
हमने दुनिया में बिखेरी शायरी की रौशनी

क्या करेंगे जा के अब हम आईने के सामने
उसकी आँखों में मिलेगी बेबसी की रौशनी

सबको अच्छी लग रही हैं मेरे घर की झालरे
मुझको तो अच्छी लगी उसकी गली की रौशनी

दुश्मनी वालों, अँधेरों में भटकना छोड़कर
आओ फैलायें जहाँ में दोस्ती की रौशनी

रौशनी तो रौशनी है रौशनी कहलायेगी
एक पल की रौशनी हो या सदी की रौशनी

‘क़म्बरी’ की है यही शुभकामनायें दोस्तो
सौ बरस रौशन रहे हर ज़िन्दगी की रौशनी

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