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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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८६

ऐसा लगता है किसी की मेहरबानी हो गयी


ऐसा लगता है किसी की मेहरबानी हो गयी
आप तक पहुँची तो कुछ की कुछ कहानी हो गयी

मेरे घर में ख़ुशबुओं की बाग़बानी हो गयी
दिन का राजा मैं हुआ, वो रातरानी हो गयी

कोई राजा है ग़ज़ल का, कोई रानी हो गयी
फेसबुक तो शायरी की राजधानी हो गयी

इस क़दर आँखों से अश्कों की रवानी हो गयी
दर्द के बादल उठे, धरती भी पानी हो गयी

हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी क्या करें
बाप बूढ़ा हो गया, बेटी सयानी हो गयी

अब तो वेलन्टाइन डे पर हो रहा इज़हारे-इश्क़
लैला-मजनू की कहानी तो पुरानी हो गयी

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