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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


अन्त में कमल ने असमंजस में पड़े लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए कमलेश की ओर इशारा करके कहा-''कहिए तो मैं आपकी पसंद का आर्डर दे दूं?''

''शौक से।''

'एक स्पेशल ट्यूटी फ्रूटी।''

''ओह! आपने कैसे जाना कि कम्मो की यही पसंद है?''

''मम्मी! प्लीज!''

'ओ! आइ एम साँरी। मेरा मतलब कमलेश से था।''

''बच्चे अक्सर ऐसी ही चीजें पसंद करते हैं।'' कमल ने दबी आवाज मे कहा।

कमलेश उसकी ओर कनखियों से देखने लगी।

उसे देखकर कमल के चेहरे पर एक रंग आता और एक आता था। वह विचित्र असमंजस में फंस गया। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। वह एक नजर उस लड़की पर और दूसरी अंजना पर डालता।

अंजना उसकी मनोदशा भली भांति समझ रही थी।

वह लड़की अल्हड़ थी और मां अत्यंत फैशनपरस्त। कमल को दोनों पसंद नहीं आईं। फिर भी वह उनकी आवभगत में लगा हुआ था।

अंजना और कमल जब अधिक देर तक मौन रहे तो मिसेज खन्ना बोलीं-''अभी तो बचपना है मेरी बेटी में। फिर भी मैं सोचती हूं, कोई अच्छा लड़का हो तो उसे सौंप दूं।''

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