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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''तुम्हें धोखा हुआ है। मैं अंजू नहीं, पूनम हूं।'' वह कठोर स्वर में उसकी बात का उत्तर देते हुए बाहर चली गई, लेकिन उसके चेहरे के पीलेपन ने शबनम से साफ-साफ कह दिया कि वह अंजू ही है।

शबनम ने अपना प्रतिबिंब आईने में देखा और उसके अधरों पर व्यंग्यात्मक मुस्कान उभर आई।

अंजना जब कमल के साथ उसकी जीप में बैठी अपने घर जा रही थी तो जैसे उसे चुप्पी लग गई थी। आधा रास्ता निकल जाने पर भी जब वह कुछ नहीं बोली तो कमल ने अपने मतलब की बात छेड़ दी।

''कहो, लड़की कैसी है?''

अंजना की तंद्रा टूटी और बिना कुछ सोचे-समझे उसने कह दिया-''बुरी नहीं है।''

''तुम्हें पसन्द हो तो हां कह दूं।'' कमल ने उसकी आंखों में झांकते हुए कहा। इतने में धुआंधार कुहरे ने जीप को अपनी लपेट में ले लिया।

जब जीप उस धुंधलके से बाहर निकली तो अंजना ने कहा-''मेरी पसन्द से क्या होगा! लड़की तुमने देख ली है, फैसला कर डालो।''

''मैं तो अपने जीवन की बागडोर अब तुम्हारे हाथों में सौंप चुका हूं।''

''लेकिन तुम्हारा दिल क्या कहता है?''

''जो तुम्हारा दिल कहता है।''

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