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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


रमिया को मुस्कराता देखकर अंजना झल्ला उठी। उसका क्रोध देखकर रमिया झेंप गई और राजीव के कपड़े लिए तेजी से ऊपर चढ़ गई।

जब वह कमरे में कपड़े रखकर बाहर निकल रही थी तो अंजना को आते देख वहीं खड़ी हो गई।

अंजना ने उसे गहरी निगाहों से देखते हुए पुकारा-''रमिया!''

''जी!''

''तू मुझे देखकर हंस क्यों पड़ी थी?'' अंजना ने शंकित दृष्टि से उसकी ओर देखते हुए पूछा।

''जी जी...वह भेड़िये वाली बात पर। आप डर गई थीं ना!''

मालकिन की नजरों में क्रोध देखकर वह बड़े विनम्र स्वर में बोली-''मुझसे गलती हो गई बीबीजी!''

रमिया चली गई लेकिन अंजना के दिल का भय नहीं गया। बार-बार एक ही विचार उसके मन में खलबली मचा रहा था कि कहीं रमिया ने बनवारी को देख तो नहीं लिया!

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