लोगों की राय

उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''किस बात की?''

''एक जीवन-साथी की।''

''शालो!''

''हां भइया! मेरी भाभी आ जाए तो यह कमी पूरी हो जाएगी। एकान्त की चुभन दिल से निकल जाएगी। डैडी भी अपना दुख भूल जाएंगे।''

''हां, कुछ दिनों से मैं भी यह कमी महसूस कर रहा हूं।''

'''तो कह दूं डैडी से कि भइया तैयार हो गए?'' वह चमककर बोली।

कमल ने फाइलों को सामने से हटा दिया और अपनी बहन की भोली भाली आंखों में झांकने लगा जिनमें हर्ष के आंसू चमकने लगे थे। कमल उसकी ओर देखता ही रह गया।

''कहो ना भइया!''

''हां तो कह दूं, लेकिन लड़की कहां है?''

''एक बात पूछूं भइया?'' शालो ने झिझकते हुए पूछा।

''हूं।''

''मेरी सहेलियों में से तुम्हें कौन-सी पसन्द है?''

कमल उसकी बात सुनकर झेंप गया। इस झेंप की ओर तनिक भी ध्यान न देते हुए वह फिर बोली-''कहो ना, कौन-सी तुम्हें अच्छी लगती है-कुमुद, रेखा, आशा? जिसे कहो उसे खींच लाऊं तुम्हारी जिन्दगी में।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book