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उपन्यास >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


दाईं ओर अचानक कमल को देखकर वह बरबस झेंप गई। वह चुपचाप खड़ा उसे निहार रहा था।

अंजना के हाथ में कविता की एक पुस्तक देखकर वह बोला-''आपको भी कविताएं पसंद हैं क्या?''

''जी। आपका शौक भी बहुत पुराना लगता है!''

''कालेज के दिनों में था, लेकिन अब नहीं रहा।''

''क्यों?''

''जीवन की कठोरता का अनुभव जो हो गया। उसके बाद यह कोमल भावनाएं एक स्वप्न सी लगने लगी हैं।''

''यह आपका भ्रम है। जीवन के कठोर अनुभव ही तो इसमें यथार्थ का रंग भरते हैं।''

''इस यथार्थ में दर्द और जलन के सिवा और कुछ नहीं होता।''

''जिस दिल में दर्द और जीवन में जलन न हो वह क्या हुआ?''

कमल ने भर नजर अंजना की ओर देखा। वह झेंप गई। उसकी घबराहट देखकर कमल मुस्करा पड़ा।

अंजना ने तुरत संभलकर धीरे से कहा-''आई एम सॉरी।'' इससे पहले कि इस बारे में वह अंजना से और बातें करता, वह दूसरे कमरे में चली गई और अपना सामान ठीक करने लगी। कमल ने जेब से सिगरेट निकालकर सुलगाया और उसी खिड़की के पास चला गया जहां से राजीव नजर आ रहा था और जो अभी तक उन कबूतरों का खेल देख रहा था।

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