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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


रक्तदाता छात्र


मैडम ने, कक्षा में,
'रक्तदान महादान' का पाठ पढ़ाया।
महादान का अर्थ समझाया।

बालक का मन
रक्तदान करने को मचलने लगा
छात्र ने इच्छा प्रकट की।

मैडम ने हर्षाश्चर्य से देखा
समझाया
तुम रक्तदान नहीं कर सकते।

परन्तु क्यों मैडम?
अभी १८ वर्ष के नहीं हुए।

वह उदास हो गया।
मैडम ने उदास आँखों में झांका
पास बुलाया।
राघव चिंता मत करो
तुम कुछ और कर सकते हो
कक्षा में रक्तदान चर्चा,
प्रार्थना सभा में भाषण,
कविता नाटक, चित्रकला,
साथ मिलकर प्रभात फेरी।

रक्तदान साहित्य पढ़ो
परिवार के रक्तदाता पर गर्व
रक्तदानियों की सेवा करो।

रक्तदान जैसा आनंद मिलेगा
सरस्वती का आशिष मिलेगा।

बालक गर्व से भर गया
उदास चेहरा मुस्कान में बदल गया।

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