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कविता संग्रह >> यादें

यादें

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607

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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।



पहली बार


आज पहली बार
दिया है किसी ने
मुझे इतना सारा प्यार।

मेरी आँखें थी प्यासी-प्यासी
चेहरे पर छाई थी उदासी।
मगर एक नजर ने तुम्हारी
इस उजड़े हुए बाग में
फिर से बहार ला दी
चलने लगी है ठंडी बयार
आज पहली बार।

जिन्दगी नीरस सी हो चली थी
सांसे भी जैसे थम सी गई थी
खटका कर दिल का दरवाजा
स्वच्छ हवा तुमने भर दी
नींदों में तुम आने लगी
लेकर अपना सच्चा प्यार।
आज पहली बार
दिया है किसी ने
मुझे इतना सारा प्यार ।

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