धर्म एवं दर्शन >> श्री दुर्गा सप्तशती श्री दुर्गा सप्तशतीडॉ. लक्ष्मीकान्त पाण्डेय
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श्री दुर्गा सप्तशती काव्य रूप में
श्रीदुर्गासप्तशती (दोहा-चौपाई)
माँ भगवती इस घोर कलिकाल में तापत्रयनिवारिणी शक्ति के रूप में व्याप्त हैं। वस्तुत: लालन-पालन का दायित्व माँ का है। परम शक्तिमयी माँ त्रिपुरसुन्दरी की अशेष कृपा से ही विश्व का भरण-पोषण हो रहा है। माँ की स्नेहिल छाया हर भक्त के लिए सर्वदा और सर्वत्र सुलभ है। उनका स्मरण मात्र करना पड़ता है। स्मरण मात्र से ही वे भक्तों के कल्याण हेतु तत्पर हो जाती हैं।
माँ की कृपा के लिए श्री दुर्गासप्तशती के पाठ का विधान सनातन है। भक्तजन दोनों नवरात्रों में तथा नित्य सप्तशती का पाठ करते हैं। संस्कृत न जानने वाले भक्तजनों को श्रीदुर्गासप्तशती के नित्य पाठ में कठिनाइयां आती हैं। इसके परिणाम स्वरूप भगवती जागरण के नाम पर कीर्तन-भजन के आयोजन तो होते हैं लेकिन उनमें विह्वलता की अपेक्षा मनोरंजन-सा प्रतीत होने लगता है। ऐसे भक्तों के लिए जगदम्बा के प्रसाद स्वरूप इस पुस्तक का प्रणयन हुआ है। नवरात्र में नित्य पाठ और सम्पुट लगा कर सामूहिक पाठ करने से शक्ति का जागरण होगा ऐसा विश्वास है।
भक्तजनों के स्नेह का परिणाम है कि पुस्तक का तीसरा संस्करण हुआ। इसके साथ ही देश-विदेश के श्रद्धालुओं केलिए यह नेट संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है जिसके लिए श्री अंबरीश शुक्ल साधुवाद के पात्र हैं। श्रद्धालु भक्तजनों से निवेदन है कि सप्तशती के पाठ से जो अनुभूति हो, उससे अवगत कराने की कृपा करें। पुस्तक की मूल प्रेरणा तो माँ भगवती ही हैं किन्तु उन्होंने जिन्हें माध्यम बनाया है उनमें मेरे पूज्य पिता पं० गंगा प्रसाद पाण्डेय वैद्य का स्नेह सर्वोपरि है।
कोटवा, इलाहाबाद
अनुक्रम
- श्रीदुर्गासप्तशती (दोहा-चौपाई)
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- संक्षिप्त पाठ विधि
- श्रीदेवीकवच
- श्रीअर्गलास्तोत्र
- श्रीकीलकस्तोत्र
- अथ तंत्रोक्त रात्रिसूक्त
- प्रथम अध्याय : मधु-कैटभ वध
- द्वितीय अध्याय : देवी का प्रकट होना और महिषासुर की सेना का वध
- तृतीय अध्याय : महिषासुर वध
- चतुर्थ अध्याय : देवताओं द्वारा देवी की स्तुति
- पंचम अध्याय : देवताओं द्वारा स्तुति और चण्ड मुण्ड द्वारा शुम्भ से देवी की प्रशंसा
- छठा अध्याय : धूम्रलोचन-वध
- सप्तम अध्याय : चण्ड मुण्ड का वध
- अष्टम अध्याय : रक्तबीज-बध
- नवां अध्याय : निशुम्भ वध
- दसवां अध्याय : शुम्भ वध
- ग्यारहवां अध्याय : देवी की स्तुति और देवताओं को वरदान
- बारहवां अध्याय : देवीचरित्र का माहात्म्य
- तेरहवां अध्याय : सुरथ और वैश्य को दर्शन और वरदान
- अथ तंत्रोक्त देवीसूक्त
- अथ प्राधानिक रहस्य
- अथ वैकृतिक रहस्य
- अथ मूर्ति रहस्य
- क्षमा प्रार्थना
- देव्यापराधक्षमापनस्तोत्र
- माँ दुर्गा की आरती
- नित्य प्रार्थना
- सप्तशती-माहात्म्य
- सप्तश्लोकी दुर्गा
- हे ब्राह्मणों, उठो-जागो!
- ब्राह्मण कौन ?
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