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जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

चन्द्रशेखर उन दिनों अपने माथे पर चन्दन का तिलक लगाया करते थे। इससे पुलिस के उस सिपाही को उनका चेहरा याद रखने में कोई कठिनाई नहीं हुई। उसने पुलिस का एक दल लेकर, नगर का कोना-कोना छान मारा। अन्त में खोजते-खोजते यह दल चन्द्रशेखर के कमरे में भी पहुंच गया।

कमरे की दीवारों पर लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, पंडित मोतीलाल नेहरू, महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी आदि राष्ट्रीय नेताओं के चित्र टंगे थे। उन पर फूल-मालाएँ लटक रही थीं। सिपाही ने कमरे के भीतर राष्ट्रीयता का वातावरण ओर चन्द्रशेखर के माथे पर चंदन का तिलक देखकर पहचान लिया कि कंकड़ मारने वाला लड़का यही है। उसने आगे वढ़कर उसके हाथों में हथकड़ियां डाल दीं।

हथकडियाँ पहनकर भी चन्द्रशेखर के मन पर तनिक भी भय नहीं आया। वह न विचलित हुए और न डरे।

थाने लाकर उन्हें हवालात में वन्द कर दिया गया। कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। रात्रि को ओढ़ने व बिछाने के लिए उन्हें कोई वस्त्र नहीं दिया गया। पुलिसवालों का विचार था - यह अभी लड़का है किसी तरह जोश में आकर गलती कर बैठा है। रात को ठंड से कष्ट पाकर स्वयं ही अपने कार्य के लिए क्षमा माँग लेगा।

रात को थाना इन्चार्ज की नींद टूटी। उस समय दो बज रहे थे। यह वह समय होता है जब तापमान सबसे कम होता है। इसलिए इस समय ठंड भी बहुत बढ़ जाती है। इन्चार्ज ने सोचा -- देखें! चन्द्रशेखर का क्या हाल है? वह अवश्य ही सर्दी के मारे अकड़ रहा होगा।

किन्तु अपनी आशा के विपरीत उसने देखा चन्द्रशेखर केवल एक लंगोट पहने, डंड पेल रहे थे। उनके सारे शरीर से पसीना चू रहा था। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उससे न कुछ कहते और न कुछ करते वना। वह उल्टे पाँव लोटकर घर आ गया और पड़कर सो गया।

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