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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला

हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698

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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं

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डॉ. अंजना के क्वाटर में इतना काम नहीं था कि बिना नौकरानी काम न चले फिर भी एक महिला साथ में हो तो सुविधा रहती है। परन्तु अब तो अकेले ही रहना पड़ेगा क्योंकि राजो की डिलीवरी है वह तो छुट्‌टी पर जाएगी ही.... खैर देखा जाएगा........।

तभी राजो एक 14 वर्ष की अपंग लड़की का हाथ थामे अंदर आयी- 'देखो डाक्टरनी जी, ये लड़की आपका काम चला देगी।'

डॉ. अंजना को आश्चर्य हुआ- अरे ये तो अपाहिज है, ये क्या काम करेगी? और छोटी भी है.... बेकार में बाल कल्याण परिषद वाले आकर हंगामा कर देंगे, ना बाबा ना....।

'डॉक्टर अम्मा मैं आपका सारा काम अच्छे से कर सकती हूँ मैं क्या अपने घर में काम नहीं करती जो बाल कल्याण परिषद वाले हंगामा करेंगे- वो क्या मुझे रोटी खिला देंगे'- उसके शब्दों में विश्वास भरा था।

उसका आत्मविश्वास देखकर डॉ. अंजना सोचने लगी-तुम्हारा नाम क्या है?.... 'कमली' ....। हाँ कमली, मुझे तुम्हारी बातें तो अच्छी लगी। तुम मेरे हसबेंड की लाइब्रेरी की डस्टिंग कर दिया करो बस, बाकी सब काम मैं संभाल लूंगी। हां एक शर्त है- तुम्हें यहां आकर अपनी पढ़ाई चालू करनी होगी। 'जी डाक्टर अम्मा, कहो तो आज से काम चालू कर लूं?' 'ठीक है राजो इसको काम समझा दे'।

'थेंक यू डॉक्टर अम्मा'- पढ़ाई की बात सुनकर ये शब्द स्वत: ही कमली के होठों पर आ गए।

० ० ०

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