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कविता संग्रह >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



99

सब के सब हो गये सयाने अब


सब के सब हो गये सयाने अब।
फिर भला किसकी कौन माने अब।।

कितने चालाक़ हो गये पंछी,
ठीक लगते नहीं निशाने अब।

ऊँट आया पहाड़ के नीचे,
अक्ल आ जायेगी ठिकाने अब।

धूप में छाँव दे नहीं पाते,
तेरी ज़ुल्फ़ों के शामियाने अब।

इतने महफ़ूज़ हो गये हैं हम,
हो गये घर भी जेलख़ाने अब।

आओ मिलकर इन्हें बदल डालें,
क़ायदे हो गये पुराने अब।

हम तो ‘राजेन्द्र’ थे ही दीवाने,
आप भी हो गये दिवाने अब।

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Abhilash Trivedi

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