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कविता संग्रह >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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पड़े हैं जब भी क़लम के निशान काग़ज़ पर


पड़े हैं जब भी क़लम के निशान काग़ज़ पर,
सिमट के आ गया सारा जहान काग़ज़ पर।

करें तो कैसे करें इत्मिनान काग़ज़ पर,
न जाने कितने हैं झूठे बयान काग़ज़ पर।

हमारे दिन तो गुज़रते हैं आसमान तले,
बने हैं रोज़ हज़ारों मकान काग़ज़ पर।

अभी तो लेगी तेरा इम्तेहान दुनिया भी,
दिये हैं तू ने अभी इम्तेहान काग़ज़ पर।

ज़माने वाले मेरे बाद मुझको समझेंगे,
मैं छोड़ जाऊंगा अपनी ज़ब़ान काग़ज़ पर।

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Abhilash Trivedi

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